South Zone - Vastu Dosh & Nivaran
SOUTH 168.75° TO 191.25°
RED, GREEN , BROWN, YELLOW, WHITE, BLUE, BLACK
Mangal
Mrigashira
Chitra
Dhanishtha
Traingle
Munga
मूंगा
Kartikeya
Earth
Copper
तांबा
ARIES
मेष
SCORPIO
वृश्चिक
Remedies With Gemstone
याम्ये निलं तु विन्यते ( Nilam)
रत्नों को स्वास्तिक यंत्र के नीचे स्वच्छ कर अभिमंत्रित कर फिर से पृथ्वी के अंदर रखा जाता है
Element : FIRE
Vastu Dosh
1) यदि मकान के दक्षिण में अध्ययन कक्ष या लायब्रेरी हो तो पढ़ाई में व्ययधान अवश्य आएगा।
2) यदि दक्षिण दिशा में पूजाकक्ष एवं वहीं पर शयनकक्ष हो तो पूजा केवल दिखावा होगी, उसमे आदिशक्ति बिलकुल नहीं रहेगी।
3) अगर दक्षिणी दरवाजे के सामने गड्ढा, मैदान या अँधेरा हो तो गृहस्वामी के भाइयों को कष्ट होगा।
4) यदि दक्षिण में कुआं, दरार, कूड़ादान या पुराना कबाड़ रखा तो गृहस्वामी बीमार रहेगा, वह घर का सुख कभी नहीं भोग पाएगा।
5) दक्षिण भाग में चारदीवारी एवं मकान की दीवारें उतर की दीवारों से ऊँची नहीं होनी चाहिए, अन्यथा वे अनर्थकारी सिद्ध होंगी।
6) यदि दक्षिण भाग में खाली जगह, घर के अहाते एवं सभी कमरें हो तथा बरामदों का दक्षिणी भाग नीचा हो तो महिलाए सदा अस्वस्थ रहेगी। धन हानि एवं आकस्मिक मृत्यु होगी।
7) दक्षिण में यम का निवास माना गया है। इसलिए थोड़ी जगह खाली रखकर निर्माण करना चाहिए। यदि उतर की अपेक्षा दक्षिण में थोड़ी जगह कम करके अथवा अहाते की सीमा बनाकर निर्माण किया जाए तो दोष नहीं रहेगा।
8) यदि दक्षिण भाग के द्धार आग्नेयमुखी हों तो अग्नि तथा अदालती कार्यवाही का भय बना रहेगा। दक्षिण भाग के द्धार नैऋत्यमुखी हों तो लंबी बीमारी एवं आकस्मिक मृत्यु का डर रहता है।
9) दक्षिण भाग का नीचा होना अनर्थकारी है। इसीलिए पोर्टिको का निर्माण स्तंभों के आधार पर बिना घर के सलोप पर ही करना चाहिए। दक्षिण भाग में खाली जगह अधिक होने पर आर्थिक हानि एवं झगड़े होंगे।
वास्तुदोष का निवारण
⇢ इस दोष निवारणार्थ दक्षिण द्धार पर मंगल यंत्र लगाए।
⇢ दक्षिण वृत सूंड वाले गणपति द्धार के अंदर-बाहर लगाए।
⇢ दरवाजे पर वास्तु मंगलकारी तोरण लगाए।
⇢ भैरव या हनुमान जी की उपासना करें।